आचार्यश्री महाश्रमण जी के दीक्षा कल्याण वर्ष की परिसम्पन्नता पर विविध आयोजन

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आचार्यश्री महाश्रमण जी के दीक्षा कल्याण वर्ष की परिसम्पन्नता पर विविध आयोजन

श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, गंगाशहर द्वारा युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी का 51वां दीक्षा दिवस ‘युवा दिवस’ के रूप में आयोजित किया गया। साध्वी चरितार्थप्रभाजी ने गुरुदेव को विशेषताओं का पुंज बताते हुए कहा कि आचार्यश्री महाश्रमणजी का जीवन एक कुशल प्रबंधक का जीवन है। उन्होंने सांसारिक जीवन व साधु जीवन के बारे में तुलनात्मक चिंतन करने के उपरांत वैराग्य धारण किया। उनका समय प्रबंधन, शक्ति प्रबंधन शानदार है। साध्वीश्री ने उपस्थित युवाओं, महिलाओं सहित सभी श्रावक-श्राविकाओं को नशा मुक्त जीवन जीने का संकल्प करवाया। साध्वी प्रांजलप्रभाजी ने आचार्यश्री महाश्रमणजी के जीवन प्रसंगों को सुनाते हुए कहा कि अनुकंपा उनका विशिष्ट गुण है। आप जीव विराधना के प्रति हर समय इतने जागरुक रहते हैं कि कहीं जीवों की हिंसा न हो जाए। अनुशासन करते समय भी पूर्ण सजग रहते हैं। साध्वी ध्रुवरेखाजी ने कहा कि आज ही के दिन आचार्यश्री ने प्रवृत्ति से निवृत्ति अथवा असंयम से संयम की ओर प्रस्थान किया था। साध्वी कंचनरेखाजी ने उनके समर्पण और सेवा भावना को अद्भुत बताया। साध्वीवृन्द ने लयबद्ध प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम के माध्यम से बहुत ही आकर्षक तरीके से आचार्यश्री के अवदानों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का शुभारंभ मोहनलाल भंसाली द्वारा प्रस्तुत काव्य पाठ से किया गया। तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अमरचंद सोनी, तेयुप उपाध्यक्ष ललित राखेचा ने अपनी भावनाएं व्यक्त की।
युवक परिषद व किशोर मंडल के साथियों ने सामूहिक सामायिक कर अपनी अभिवंदना प्रस्तुत की। कन्या मंडल द्वारा प्रस्तुत नाटिका सबके आकर्षण का केंद्र रही। महिला मंडल द्वारा ‘महाश्रमण की गौरव गाथा’ की लयबद्ध प्रस्तुति दी गई। प्रस्तुति के साथ 6 विशेष संकल्प करवाए गए। कार्यक्रम का सफल संचालन तेरापंथी सभा के मंत्री रतन लाल छलाणी ने किया।