श्रावक सम्मेलन का आयोजन
मुलुंड (मुंबई) । उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमारजी के सान्निध्य में क्षेत्रीय श्रावक सम्मेलन का आयोजन किया गया। मुनिश्री ने कहा कि श्रावक-श्राविका का सहयोग मिलने से ही साधु-साध्वियों का संयम पलता है। इसलिए भगवान ने श्रावक-श्राविकाओं को माता-पिता तुल्य बताया है। श्रावकों को अपने बारह व्रतों की जानकारी होनी चाहिए। श्रावकों का जीवन व्यसन मुक्त और साधना युक्त होना चाहिए। प्रत्येक श्रावक-श्राविका अपने बच्चों को संस्कारी बनाने के लिए प्रयत्नशील हों। जिससे परिवार और धर्म संघ की गरिमा-महिमा बढाने में आप सहयोगी बन सकें। उपासक श्रेणी, ज्ञानशाला, प्रेक्षाध्यान, युवक परिषद, महिला मंडल, किशोर मंडल, कन्या मंडल में भी श्रावक श्राविकाओं का उचित सहयोग मिले, तब ही सभी सक्रिय और गतिशील बन सकते हैं। कार्यक्रम में गणपतलाल डागलिया और सलिल लोढ़ा ने भी अपने सारगर्भित विचार रखे। कार्यक्रम के अंत में सभा अध्यक्ष विनतीलाल मेहता ने अपनी कार्यकारिणी घोषित की मंत्री महेंद्र सांखला, उपाध्यक्ष हस्तीमल सोनी, सुरेश चोरडिया कोषाध्यक्ष मूलचंद धाकड़ को नियुक्त किया गया।